अरसा हो गया है उन बातों को शायद तुम्हें तो याद भी ना हो पर तुम्हारा नाम ले तरसा है हर दिन मेरा मुलाकातों को अगर शक हो तो पूछ लेना उन रातों को नजारा सांझ का मिल रहे सूरज और जमीं जैसा था शायद मिलन उस क्षितिज पर भी ना हो मगर रंग वो गेरुआ, शांति अजब सी लेकर बैठा था गुम हो गया वो शोर जब आंखों ने मेरी आंखों को तेरी देखा था जब आएगी सुबह सुनहरी ये बाग तब खिलेंगे खुलके दिल की गहराई में दफन जहां एक सांस भी ना हो गुंजेगे किस्से पुराने तुम्हारी एक आवाज सुनके फिर भी पता है कुछ कह ना पाएंगे जब मिलेंगे तुमसे यों आज भी वह नदी सी बह रही है सीने में कहीं सब ने कहा नहीं मिलोगे पर जिक्र बिना तुम्हारे, मज़ा जीने में नहीं ठीक है भूल जाएंगे वो मुस्कान, महक, नाम...भावना से दूर रहेंगे कैसे फिर भी पता नहीं ये दिमाग है या दिल, बड़बड़ाता रहता है कि क्या कहेंगे... जब मिलेंगे तुमसे।
Poem that describes different aspects of Life, like: struggle, Time, love, Confusion n Motivation. Trying to understand Life's Game.
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