जब एक प्यारे दोस्त ने दूसरे दोस्त का बिखरा बिखरा सा हाल देखा तो उसकी नादानी पर गुस्सा आया क्या रे! क्यों है तू इतना दुखी एक प्यारे मित्र ने मेरे आज मुझसे कहा कोई नही है यार अपना मैने जब धीमी आवाज़ में कहा उसने मुझे डांटा कहा लग सकता हैं शायद तुझे बुरा प्लीज अपने जीने का नज़रिया बदलो जो ठूंस रखा है कचरा तुमने जरा उनको उगलो शायद तुम किसी को पाने के लिए मचल रहे हो तुम सोचो तो क्या लगेगा उसे अच्छा दुखी पाकर तुझे तेरे कारण कोई दुखी हो क्या अच्छा लगेगा सुनकर तुझे ना किसी को पाने की तड़प और ना ही किसी से खफा हूं मैं शायद आप मुझे समझ नहीं पाए मैने बोला उनको लोग नहीं सपने है मेरी समस्याएं दोस्त ने कहा माफ़ करना शायद में किसी को समझ ना पाउ पर जो वेदना है अंदर की वो सुनती हैं सबको तुम जताओ ना भले पर सिंकज माथे पे दिखती हैं हमको देखो सपने ये तो अच्छी आदत हम इंसानों की देखो मगर जरूरी नहीं के सारे सपने पूरे हो गर करो मेहनत-लगन तो ना लक्ष्य रहे अधूरे वो मिडिल क्लास वाले हर चीज को ही अपनी समझ लेते है ये कल्पना तो चलती है जीवन भर खुद को खुश करना क्यों भूलें मगर खुशकिस्मत हो भाई के तुम्हे खुद...
Poem that describes different aspects of Life, like: struggle, Time, love, Confusion n Motivation. Trying to understand Life's Game.