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Showing posts from March, 2019

NAYA SAVERA {Hindi Poem}

नया सवेरा क्याॅ लिखना चाहता है तु, आज लिख डाल। क्याॅ उड़ेलना चाहता है तु, आज उड़ेल डाल।। ये जो तेरे मन के भाव है, मत रोक। ये जो तेरे गगन पर निकले पांव है, मत टोक।। क्यों घिरा हुआ है तु, घोर अंधेरो में। क्यों बिखरा हुआ है तु, चिंता के फेरों में। पता है कि तु हार चुका है। उन रोशन सवेरो को भी तु नकार चुका है।। गुमनामी अब तुझे ज्यादा अच्छी लगने लगी। इसलिए, आंखे तेरी क्याॅ उंचाईयों के स्वाद भुलने लगी।। क्याॅ सूरज, अस्त के डर से रोशनी दुबारा लाता नहीं। क्याॅ पंछी, टूटने के डर से घोंसला फिर से बनाता नहीं।। शायद डर लगता है, कि फिर से ना  गिर ‌जांउ। बार-बार गिर के भी चढ़ते रहने का वो, चिंटी से साहस कैसे दिलवाउं। अरे! दिन तो चढ़ते-ढ़लते है, ये ही जीवन-चक्र है। हर रोज उजाला होता, आकाश में पंछी उड़ाने भरते हैं, ये भी निरंतर है।। खुशियों कि बारिशों में भीगना है तो, सिकुड़े क्यों हो, हाथ फैलाओ। अरे! लहराती फसल चाहते है तो, बैठे क्यों हो, बीज लगाओ।। आज ही शुरू कर तु, रूकना भूल डाल। क्याॅ...

that beauty

                                                                                                                                                                                                   THAT BEAUTY.   I could see the heaven through your eyes Where the only bird of happiness flies alone and sad, I was wondering then you came and on every spark of your smile my heart dies. Oh! My goodness! What an endless beauty was that My way to think and even my rudeness went flat u...